ऐलन केरियर इंस्टीट्यूट आज सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि एक पहचान है प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की ।
ऐलन परिणाम है चार माहेश्वरी भाइयों (1. राजेश माहेश्वरी जी, 2. बृजेश माहेश्वरी जी, 3. गोविन्द माहेश्वरी जी वजह 4. नवीन माहेश्वरी जी) की मेहनत का जिनकी कभी ना खत्म होने वाली ऊर्जा ऐलन को निरन्तर सफलता की ओर अग्रसर कर रही है।
राजेश
माहेश्वरी जी 1986
में
जो अपनी पॉलिटेक्निक की पढ़ाई
के दूसरे साल में थे,
जे.के.
कॉलोनी
कोटा में उनके पड़ोस का एक
छात्र उनसे कुछ सवालों के जवाब
पूछने आया था वह
छात्र उनके समझाने के तरीके
से इस कदर प्रभावित हुआ कि
उसने उनसे ट्यूशन पढ़ने की
इच्छा जाहिर की उन्होनें
उसकी गुजारिश मान ली और फिर
जे.के.
कॉलोनी
के कुछ और छात्र एक-एक
करके ट्यूशन के लिए उनके पास
आने लगे |
उन्होंने
अपने घर पर ही डाइनिंग टेबल
पर उन्हें पढ़ाना शुरू किया
और वक्त के साथ ज्यो
ज्यो वे
छात्र बेहतर नतीजे हासिल करने
लगे तयो
तयो
पढ़ाने में उनकी दिलचस्पी
बढ़ने लगी।
पॉलिटेक्निक
का डिप्लोमा पूरा करने के बाद
जल्द ही उन्हें उस
समय की मशहूर जे.के.
इंडस्ट्री
का ऑफर लेटर मिला मगर पढ़ाने
में अपनी गहरी दिलचस्पी के
चलते उन्होंने जे.के.
इंडस्ट्री
की इस प्रतिष्ठित नौकरी की
जगह
टीचिंग का रास्ता चुना।
माहेश्वरी
को पढ़ाने में और बेहतर केरिय्र
बनाने
के लिए युवाओं की मदद करने में
मजा आने लगा तभी अलग-अलग
ट्यूशन की बजाय साइंस के तीनों
विषयों केमिस्ट्री,मेथ्स
और बायोलॉजी के लिए एक ही छत
के नीचे एक संस्था शुरू करने
का बिल्कुल नया विचार उनके
मन में आया|
1988
में
उन्होंने किराए के एक कमरे
में कोचिंग इंस्टीट्यूट की
शुरुआत की इसी के साथ एक ही
जगह पर तमाम विषयों की कोचिंग
का नया युग शुरू हुआ जिसने
कोटा कोचिंग की नीव
डाली।
18 अप्रैल 1988 को उन्होंने ऐलन कोचिंग इंस्टिट्यूट की स्थापना की जिसका नाम अपने दिवंगत पिता लक्ष्मी-नारायण(एल. एन.)की य़ाद मे रखा गया तभी से देश की शैक्षिक राजधानी कोटा आई.आई.टी. और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए पूरे भारत में सबसे बड़े कैरियर कोचिंग केंद्र के तौर पर उभरा।नतीजतन यहां से तैयारी करके बहुत बड़ी तादाद में छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग की दिशा मे सफल होने लगे ।
18 अप्रैल 1988 को उन्होंने ऐलन कोचिंग इंस्टिट्यूट की स्थापना की जिसका नाम अपने दिवंगत पिता लक्ष्मी-नारायण(एल. एन.)की य़ाद मे रखा गया तभी से देश की शैक्षिक राजधानी कोटा आई.आई.टी. और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए पूरे भारत में सबसे बड़े कैरियर कोचिंग केंद्र के तौर पर उभरा।नतीजतन यहां से तैयारी करके बहुत बड़ी तादाद में छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग की दिशा मे सफल होने लगे ।
माहेश्वरी
सर को
शुरू से यकीन था कि फर्क पैदा
करने के लिए उन्हें कुछ अलग
करना होगा इसलिए सबसे पहले
वे विभिन्न विषयों की पढ़ाई
की सुविधाएं एक ही छत के नीचे
लाए |
उन्होंने
शिक्षकों की
अपनी टीम को विषयवार पढ़ाई
से हटकर टॉपिक आधारित पढ़ाई
के लिए तैयार किया और प्रशिक्षित
किया ताकि वह रूम में छात्रों
को विषय के अनुसंधान का कहीं
ज्यादा गहरा ज्ञान दे सकें|
उनका
नजरिया रहा है भविष्य के लिए
अभी तैयारी और इसी नजरिए की
वजह से ऐलन पिछले 30
साल
से हमेशा एक कदम आगे रहा है|
वह
हमेशा बेहतरीन विश्वविद्यालयों
और संस्थानों से बेहतरीन
प्रतिभाओं को लेकर आये इससे छात्रों को सैद्धांतिक ज्ञान
की बजाय
अवधारणाओं को समझने में मदद
मिली|
शुरू में छात्रों का मूल्यांकन हाथ से लिखे नोट्स और लिखित परीक्षा के आधार पर किया जाता था जो कि बहुत समय खपाऊ व उपयुक्त नहीं था इसलिए परीक्षा का सही मिजाज विकसित करने के लिए उन्होनें पूरे राजस्थान के शिक्षा उद्योग में O.M.R प्रणाली विकसित की।
शुरू में छात्रों का मूल्यांकन हाथ से लिखे नोट्स और लिखित परीक्षा के आधार पर किया जाता था जो कि बहुत समय खपाऊ व उपयुक्त नहीं था इसलिए परीक्षा का सही मिजाज विकसित करने के लिए उन्होनें पूरे राजस्थान के शिक्षा उद्योग में O.M.R प्रणाली विकसित की।
उन्होंने
कोई कसर बाकी नहीं रहने दी यही
वजह है कि व्यवस्था को मजबूत
बनाने के मकसद से उन्होंने
छात्रों के बीच शिक्षकों की
अनूठी फीडबैक प्रणाली चालू
की है इसमें छात्रों को कुछ निश्चित
मानदंडों पर शिक्षकों का
मूल्यांकन फीडबैक फॉर्म के माध्यम से करने के लिए कहा
जाता है इसके नतीजतन शिक्षक अपनी शिक्षणपद्धति में अपना 100% योगदान
देते हैं।
माहेश्वरी भाइयों में सबसे छोटे बृजेश माहेश्वरी अपनी पढ़ाई पूरी कर उनकी टीम के साथ जुड गये । 1991 में इंस्टिट्यूट ने राजस्थान पीएमटी में 12 छात्रों के चयन की बेहतरीन कामयाबी हासिल की। उसके बाद तो सफलता का सिलसिला प्रारंभ हो गया। जल्दी ही बड़े भाई गोविंद माहेश्वरी और छोटे भाई नवीन माहेश्वरी भी तरक्की को तेज रफ्तार देने के लिए इंस्टिट्यूट से जुड़ गये।
माहेश्वरी भाइयों में सबसे छोटे बृजेश माहेश्वरी अपनी पढ़ाई पूरी कर उनकी टीम के साथ जुड गये । 1991 में इंस्टिट्यूट ने राजस्थान पीएमटी में 12 छात्रों के चयन की बेहतरीन कामयाबी हासिल की। उसके बाद तो सफलता का सिलसिला प्रारंभ हो गया। जल्दी ही बड़े भाई गोविंद माहेश्वरी और छोटे भाई नवीन माहेश्वरी भी तरक्की को तेज रफ्तार देने के लिए इंस्टिट्यूट से जुड़ गये।
2014 में ऐलन लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड
रिकॉर्ड में जगह बनाने में
कामयाब रहा जब इसे एक ही जगह
यानी कोटा में छात्रों की
तादाद 66604
के
लिहाज से हिंदुस्तान की सबसे
बड़ी शैक्षणिक कोचिंग इंस्टीट्यूट
के तौर पर मान्यता दी गई।
2017 में ऐलन का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ जब इसके 23735 छात्रों ने विश्व रिकॉर्ड कायम करते हुए 71 वां गणतंत्र दिवस मनाया।
इंस्टीट्यूट का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा छात्रों को भावी इंजीनियरिग व डाक्टरी की परीक्षा में सफल बनाना है। इसकी योजना अपना खुद का विश्वविद्यालय स्थापित करने और प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखने की है ।
Courtesy : India Today Magazine & BigFM
2017 में ऐलन का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ जब इसके 23735 छात्रों ने विश्व रिकॉर्ड कायम करते हुए 71 वां गणतंत्र दिवस मनाया।
इंस्टीट्यूट का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा छात्रों को भावी इंजीनियरिग व डाक्टरी की परीक्षा में सफल बनाना है। इसकी योजना अपना खुद का विश्वविद्यालय स्थापित करने और प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखने की है ।
Watch Interview of Rajesh Maheshwari Sir with 92.7 BigFM
Courtesy : India Today Magazine & BigFM
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Vinay Gandhi
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